What is GST bill and How it works

What is GST bill and How it works

संसद के हंगामेदार मानसून सत्र के दौरान सबसे ज्यादा चर्चा में जीएसटी बिल रही। गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स पर चर्चा और एक राय न होने की वजह से फिलहाल तो यह बिल पारित नहीं हो सका है लेकिन केन्द्र सरकार इस बिल को पारित कराने के सम्बन्ध में बहुत गंभीर है। इस बिल के पारित होने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और पहले की तुलना में ज्यादा बेहतर काम कर पाएगी। इन्हीं कारणों से यह बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है। अगर यह बिल मानसून सत्र में पास हो जाता तो सरकार इससे देश की टैक्स संरचना में बड़ा बदलाव कर पाती। सफलतापूर्वक बिल पारित होने की दशा में सरकार वर्ष 2016 में ही इस बिल को पारित कर सकती थी लेकिन अब इसमें थोड़ा अंदेशा है। केन्द्र सरकार अब इसे शीतकालीन सत्र में पास कराने के प्रयास करेगी। 

क्या है जीएसटी (GST)?

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (goods and services tax) अपने नाम से ही बता रहा है कि यह सामान और सेवाओं पर लगने वाला अप्रत्यक्ष कर होगा। यह कर सेल्स टैक्स, सर्विस टैक्स और एक्साइज ड्यूटी को एक रिप्लेस कर देगा। इतने सारे करों को चुकाने के बजाय करदाता को यह प्रणाली लागू होने के बाद मात्र जीएसटी(GST) ही चुकाना होगा। दरअसल उद्योग एवं व्यापार जगत इस कदम को टैक्स सुधार के रूप में देख रहा है और इससे इज आॅफ बिजनेस का वातावरण बनाने में मदद मिलने वाली है। इस सुधार से एक बड़ा परिवर्तन यह होगा कि जीएसटी लागू होने के बाद पूरे देश मंे एक ही रेट पर टैक्स लगेगा। फिलहाल राज्य और केन्द्र के लिहाज से हरेक राज्य में अलग-अलग दरों पर अलग-अलग कर लगाए जाते हैं। इससे हरेक राज्य में समान वस्तुओं और सेवाओं की दर में फर्क आ जाता है और ये कहीं बहुत सस्ते और कहीं पर बहुत महंगे साबित होते हैं। मूल्यों में आने वाले इस अंतर को दूर करने के लिए भारत में जीएसटी लागू करने की बात वर्ष 2006-07 में शुरू की गई है। इस साल के आम बजट में भारत के तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने घोषणा की थी कि भारत सरकार वर्ष 2010 के वित्त वर्ष से जीएसटी लागू करेगी लेकिन आखिर तक बिल पर सहमति नहीं बन पाई और यह आगे बढ़ गया। चुंकि भारत में संघीय व्यवस्था लागू है और केन्द्र के साथ राज्य सरकार भी आय के बड़े स्रोत के लिए करों पर निर्भर है। 

क्यों नहीं बन रही सहमति?

जीएसटी में शामिल किए जाने वाले करों में राज्य और केन्द्र दोनों के करों को हिस्सा बनाया है। ऐसे में केन्द्र सरकार को इस व्यवस्था को लागू करने के लिए सभी राज्यों की सहमति की भी जरूरत रहेगी। ऐसे में कयास लगाए जाते रहे कि भारत में दोहरी जीएसटी लागू और कराधान की दोहरी प्रणाली लागू होगी लेकिन इससे जीएसटी की मूल भावना प्रभावित होती थी। ऐसे में सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों और उच्चाधिकार प्राप्त समिति को जीएसटी माॅडल तय करने और उसे लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। दरअसल जीएसटी का मूल उद्देश्य देश की आर्थिक विकास की दर को बढ़ाना है और एक समान राष्ट्रीय सेल्स टैक्स लगाना भी है। ऐसे में राज्यों का अपने हित बचाने के लिए केन्द्र सरकार से अधिक लाभ लेने पर जोर रहा है। ऐसे में केन्द्र सरकार ने अभीतक जो साफ किया है वह ये है कि केन्द्र इस टैक्स के लागू होने के आने वाले तीन सालों तक राज्यों को होने वाले नुकसान की भरपाई करेगी जो चैथे साल में 75 फीसदी और पांचवे साल में 50 फीसदी भरपाई तक सीमित हो जाएगा। इस बिल पर विचार करने वाली राज्य सभा की प्रवर समिति ने इसे पांच साल तक 100 प्रतिशत करने का सुझाव दिया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि मानसून सत्र में पास न होने की वजह से आने वाली कठिनाई से बचने के लिए एक और कोशिश करते हुए केन्द्र सरकार 31 अगस्त से पांच दिनों के लिए संसद का विशेष सत्र भी बुला सकती है। संसद से पारित हो जाने के बाद भी जीएसटी को आधे राज्यों से मंजरी हासिल करनी होगी। 

क्या है जीएसटी (GST) के लाभ?

विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि इसके लागू होने के बाद देश की जीडीपी में तकरीबन 2 फीसदी का उछाल आने की संभावना है। इसका एक और बड़ा फायदा होगा कि ज्यादा पारदर्शी और सटीक होने की वजह से टैक्स चोरी पर लगाम लगाई जा सकेगी और देश में काले धन की मौजूदगी में कमी आएगी। साथ ही सरल होने की वजह से कारोबारी भी इसे अदा करने में रूचि दिखाएंगे। इस नई टैक्स प्रणाली की वजह से भारत में कारोबारियों को सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी, ऑक्ट्रॉय एंडी एंट्री टैक्स, एडीशनल कस्टम ड्यूटी (सीवीडी), सर्विस टैक्स, स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम (एसएडी), वैट एंड सेल्स टैक्स, एडीशनल एक्साइज ड्यूटी, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन टैक्स, परचेज टैक्स और लक्जरी टैक्स जैसे 20 अलग तरीकों के टैक्स से मुक्ति मिल जाएगी। वैसे तो इसे बिल के लागू होने के बाद सभी वस्तुओं ओर सेवाओं की कीमते समान हो जाएंगी लेकिन फिलहाल पेट्रोल, डीजल और शराब को इससे बाहर रखा गया है। 

कैसे वसूला जाएगा जीएसटी (GST)?

जीएसटी बिल पारित होते ही ये देश का टैक्स कानून बन जाएगा। देखा जाए तो आजादी के बाद यह सबसे बड़ा टैक्स सुधार है। इस नई प्रणाली में वस्तुओं और सेवाओं के लिए सिर्फ तीन ही टैक्स वसूले जाएंगे। पहला टैक्स सीजीएसटी या सेन्ट्रल गुड्स एंड सर्विस टैक्स होगा जो केन्द्र सरकार द्वारा वसूला जाएगा। दूसरा टैक्स एसजीएसटी या स्टेट गुड्स एंड सर्विस टैक्स होगा जो राज्य अपनी सीमा में किए जाने वाले व्यवसाय के लिए वसूल करेगा। तीसरा टैक्स आईजीएसटी या इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विस टैक्स होगा जो दो या अधिक राज्यों के दरमियान होने वाले व्यवसाय के लिए वसूला जाएगा। इस टैक्स को सम्बन्धित राज्यों द्वारा समान रूप से बांटा जाएगा। 
इस टैक्स सुधार से कारोबारियों, अर्थशास्त्रियों के साथ आमजनता की भी ढेरों उम्मीदें जुड़ी हुई हैं। उन्हें उम्मीद है कि इसके लागू होने के बाद गांवों तक पहुंचने वाला सामान भी उसी दर पर मिलेगा जिस दर पर बड़े शहरों में मिलता है। ऐसे में कस्बों में लगने वाले हाटों से लेकर महानगरीय माॅल तक एक ही लाइन में आ खड़े होंगे और उपभोक्ता तथा उत्पादनकर्ता दोनों के हितों की रक्षा हो पाएगी। 

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